नवरात्रि में प्रथम दिन माँ शैलपुत्री की आराधना होती है। माता शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की बेटी है इसी वजह से माता के इस स्वरूप को माँ शैलपुत्री कहा जाता है। उनका नाम दो शब्दों से बना है, “शैल” (पहाड़) और “पुत्री” (बेटी)। इसका अर्थ है “पहाड़ों की बेटी”। माँ शैलपुत्री को सफेद रंग से जोड़ा जाता है। उन्हें अक्सर एक हाथ में कमल और दूसरे में त्रिशूल लिए हुए, एक बैल के ऊपर बैठे हुए दिखाया जाता है। उन्हें शक्ति और शुद्धता का प्रतीक माना जाता है। माँ शैलपुत्री की पूजा आराधना करने से भक्तजनों को शक्ति, ज्ञान और शुद्धता प्राप्त होती है। वे अपने जीवन में सभी संकटों को दूर करने और सफलता प्राप्त करने में सक्षम होते हैं।
इसके अतिरिक्त, आप मां शैलपुत्री को अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना कर सकते हैं।
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मंत्र इस प्रकार है
“ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ”
मंत्र उच्चारण करने के बाद हाथ में पुष्प ले और माता की तस्वीर पर छोड़ दे। इस मंत्र को आप ३, ५ , ११, २१, तथा १०८ बार जप सकते है। इस मंत्र का उच्चारण करने के बाद आप माँ शैलपुत्री के मंत्र का उच्चारण करें १०८ बार।
माँ शैलपुत्री मंत्र इस प्रकार है
ऊँ देवी शैलपुत्र्यै नमः यह मंत्र ज्ञान और सफलता प्रदान करता है।
पूजा की आरती:
जय शैलपुत्री माता, जय शैलपुत्री माता,
हिमालय की पुत्री, तुम ही हो माता।
तुमने दिया वरदान, शिव को वरमाला,
तुम ही हो जगदंबे, तुम ही हो महामाया।
जय शैलपुत्री माता, जय शैलपुत्री माता,
हिमालय की पुत्री, तुम ही हो माता।
पूजा के बाद की प्रार्थना:
हे मां शैलपुत्री,
तुमने मुझे आज तुम्हारी पूजा करने का अवसर दिया।
मैं तुम्हारी कृपा से अपने जीवन में सभी बाधाओं को दूर करूंगा,
और तुम्हारी आज्ञानुसार जीवन व्यतीत करूंगा।
हे मां शैलपुत्री,
तुम मेरे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करो।
मेरी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करो।
जय शैलपुत्री माता, जय शैलपुत्री माता,
हिमालय की पुत्री, तुम ही हो माता।
इस प्रकार से मां शैलपुत्री की पूजा करने से भक्तों को नवरात्रि के पहले दिन की सभी शुभताएं प्राप्त होती हैं।
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