नवरात्रि का पांचवा  दिन (मां कात्यायनी): कथा, मंत्र, रंग, पूजा 

स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम दिया गया है। भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजित हैं।   

मां स्कंदमाता की कथा  

एक बार भगवान शिव और पार्वतीजी ने मिलकर संतान प्राप्ति के लिए कठोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें एक पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया। इस प्रकार भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ। 

भगवान कार्तिकेय ने देवताओं की सेना का नेतृत्व करके असुरों का वध किया। इसी कारण भगवन कार्तिकेय की माता होने के कारण उन्हें माँ स्कंदमाता भी कहा गया | 

माँ स्कंदमाता मंत्र  

॥ माँ स्कंदमाता मंत्र: ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥ इस मंत्र का अर्थ है: हे देवी स्कंदमाता, मैं आपको मन से प्रणाम करता/करती हूं। 

माँ स्कंदमाता मंत्र के लाभ: माँ कात्यायनी मंत्र के जाप से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं: 

संतान प्राप्ति: सुख-समृद्धि: कार्य सिद्धि: आध्यात्मिक उन्नति:   

माँ स्कंदमाता को कौन  सा भोग लगाएं 

मां स्कंदमाता को खीर और केले का भोग लगाया जाता है। ऐसा मन जाता है की उन्हें यह भोग बहुत ही प्रीय है|   

नवरात्रि के पांचवे दिन की विशेषता 

नवरात्रि के पांचवे दिन निसंतान दंपत्तियों को विशेष रूप से मां स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए। मान्यता है कि मां की कृपा से निसंतान दंपत्तियों को संतान सुख की प्राप्ति होती है।   

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