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दुर्गा सप्तशती का पाठ किस समय करना चाहिए?

दुर्गा सप्तशती का पाठ किस समय करना चाहिए?

          नमस्कार २०२३ की शारदीय नवरात्रि का आप सभी को हार्दिक शुभकामनाये | इस साल, जैसा कि आप लोगों को पता है शारदीय नवरात्रि २०२३ में १५ अक्टूबर को शुरू हो रही है और २३ अक्टूबर को ख़त्म।  यह नव दिन का त्यौहार आपके जीवन को हर्ष दे भर देगा ।  नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती पाठ का महत्व तो आप लोग जानते ही होंगे, लेकिन कई लोगो का यह प्रश्न रहता है की नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का  पाठ किस  समय करना चाहिए यानि की कौन से ऐसे मुहूर्त में करना चाहिये।

          वैसे तो आप दुर्गा सप्तशती का पाठ किसी भी समय कर सकते है, आप अपने नित्य कर्मो के बाद भी स्नान करके दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू कर सकते है।  परन्तु यदि आपको इससे और अधिक फल प्राप्त करना है तो आपको किसी विशेष मुहूर्त का चयन करना होगा और नित्य इसी समय के अंतराल में आपको दुर्गा सप्तशती का पाठ करना होगा। अगर आपका व्रत सुदृढ़ रहा और आपने हर रोज एक ही मुहूर्त में पाठ कर लिया तो आपको इसका विशेष लाभ प्राप्त होगा।

 

          पहले आपको दुर्गा सप्तशती पाठ करने की विधी का ज्ञान होना चाहिए, तो ही आप इससे विधिवत तरीके से कर सकते है। तो आइये जानते है २०२३ की इस पावन नवरात्रि पर्व में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने का शुभ मुहूर्त।  

          पाठ करने का कोई विशेष समय तो नहीं है परन्तु इन ९ दिनों में ९ देवियो को प्रसन्न करने के लिए हर दिन का एक अलग मुहूर्त है, आप सभी रोज इन मुहूर्तों में दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू कर सकते है।

तारीख

मुहूर्त

समय

रविवार, अक्टूबर १५, २०२३

घटस्थापना मुहूर्त

11:44 AM to 12:30 PM

सोमवार, १६ अक्टूबर २०२३

ब्रह्म मुहूर्त

04:42 AM to 05:32 AM

मंगलवार,१७ अक्टूबर २०२३

ब्रह्म मुहूर्त

04:42 AM to 05:33 AM

बुद्धवार, १८ अक्टूबर  २०२३

ब्रह्म मुहूर्त

04:43 AM to 05:33 AM

गुरुवार, १९ अक्टूबर  २०२३

ब्रह्म मुहूर्त

04:43 AM to 05:34 AM

शुक्रवार, २० अक्टूबर  २०२३

ब्रह्म मुहूर्त

04:44 AM to 05:34 AM

शनिवार, २१ अक्टूबर  २०२३

ब्रह्म मुहूर्त

04:44 AM to 05:35 AM

रविवार, 22 अक्टूबर  २०२३

ब्रह्म मुहूर्त

04:45 AM to 05:35 AM

सोमवार, २३ अक्टूबर  २०२३

ब्रह्म मुहूर्त

04:45 AM to 05:36 AM

मंगलवार, २४ अक्टूबर  २०२३

अश्विन नवरात्री परना

Time – after 06:27 AM

 

FAQ

हालही में पूछे गए प्रश्न

ऋतुओं के बदलाव के अनुसार नवरात्रि वर्ष में ४ बार आती हैं। इनमेसे २ गुप्त नवरात्रि है पहली माघ मास के शुक्ल पक्ष में और दूसरी आषाढ़ शुक्ल पक्ष मे।

पहले तो रोज आपको ३ माला जाप करनी होगी पुरे नौ दिनों तक। दुर्गा शप्तशक्ति पाठ से पहले आपको उत्कीलन मंत्र का जाप जरूर करना चाहिये। सप्तसती पाठ का पूर्ण फल लेने के लिए आप लाल वस्त्र पहन कर पाठ कर सकते हैं।

माता के कलश की विधिवत पूजा करने के उपरांत कलश का विसर्जन करना बेहद जरुरी है। कलश को उठाते वक्त आप इस मंत्र का उच्चारण करते रहें-ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। पहले कलश के ऊपर के नारियल को धीमे से उठाये और अपने माथे से लगाएं। इसके उपरांत नारियल, चुनरी आदि को पत्नी, मां या फिर बहन की गोद में रख दे।

वास्तु शास्त्र में कहा गया है कि नवरात्रि के दौरान देवी मां की मूर्ति या कलश को हमेशा ईशान कोण में स्थापित करना चाहिए। दिशा उत्तर-पूर्व है. क्योंकि यह देवताओं की दिशा है.

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